उचाना कलां विधानसभा: इस बार की चुनावी लड़ाई में दुष्यंत चौटाला को कड़ी चुनौती, जाट वोटों का बंटवारा कर सकता है खेल

चंड़ीगढ। उचाना कलां विधानसभा सीट इस बार हरियाणा की सबसे चर्चित सीटों में से एक बन गई है। यहां पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह, भाजपा के देवेंद्र अत्री, और निर्दलीय वीरेंद्र घोघड़ियां जैसे प्रमुख उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। किसान आंदोलन के बाद से दुष्यंत चौटाला को किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी स्थिति कमजोर मानी जा रही है।

जाट वोटों का बंटवारा इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। उचाना में लगभग 2.17 लाख वोटर हैं, जिनमें 1.7 लाख जाट वोटर हैं। यह जाट वोट दुष्यंत चौटाला और बृजेंद्र सिंह के बीच बंटने की संभावना है, जिससे भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवारों को फायदा हो सकता है।

किसानों की नाराजगी
किसान आंदोलन के चलते दुष्यंत चौटाला को जाट समुदाय से पहले जैसा समर्थन नहीं मिल रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार उनकी जमानत तक जब्त हो सकती है। पिछले चुनाव में भारी वोटों से जीतने वाले दुष्यंत को अब कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

कांग्रेस को किसानों का साथ कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह को इस बार किसानों का समर्थन मिल सकता है। बृजेंद्र, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं, और उनका जाट समुदाय पर गहरा प्रभाव है। यदि जाट वोटों में बंटवारा होता है, तो भाजपा को फायदा हो सकता है, जबकि कांग्रेस को भी समर्थन मिलने की उम्मीद है।

निर्दलीय वीरेंद्र घोघड़ियां चर्चा में निर्दलीय उम्मीदवार वीरेंद्र घोघड़ियां, जिन्हें कांग्रेस से टिकट नहीं मिला, भी अपने चुनाव अभियान में जोर-शोर से लगे हुए हैं। उनका नाम भी चर्चा में है और वोटर उनके विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं।

भाजपा का फोकस भाजपा के देवेंद्र अत्री भी अपने प्रचार में नहरी पानी और महिला कॉलेज जैसे मुद्दों को उठा रहे हैं, ताकि गैर-जाट वोटरों को अपनी ओर खींच सकें।

चुनावी मुकाबला दिलचस्प उचाना कलां की इस बार की चुनावी लड़ाई बेहद दिलचस्प हो गई है, जहां जाट वोटों का बंटवारा और किसानों की नाराजगी नतीजों को प्रभावित कर सकती है।

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