हिंदी: भारत की आत्मा और एकता की प्रतीक, विदेशों में भी आधिकारिक मान्यता

नई दिल्ली। भारत एक ऐसा देश है, जहां विविध संस्कृतियां और धर्म मौजूद हैं, और इन सभी को एक सूत्र में बांधने का काम हिंदी भाषा करती है। हिंदी को ‘भारत की आत्मा’ कहा जाता है, जो पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक देश के हर कोने को आपस में जोड़ती है। यह भाषा भारत के माथे पर लगी एक बिंदी के समान है, जो इसकी पहचान को और भी सुंदर बनाती है। हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है, जबकि 10 जनवरी को ‘विश्व हिंदी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 1949 में इसी दिन संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था।

आज दुनिया में 60 करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी बोलते हैं। अंग्रेजी और मंडारिन के बाद हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी अब वैश्विक भाषा बन चुकी है, और कई देशों की विश्वविद्यालयों में इसे पढ़ाया जाता है।

हिंदी के वैश्विक आयाम:
अफगानिस्तान: यहां की बड़ी आबादी हिंदी बोल और समझ सकती है।
बांग्लादेश: हिंदी को यहां विशेष दर्जा प्राप्त है, और बांग्ला के साथ हिंदी का भी प्रयोग होता है।
दक्षिण अफ्रीका: यहां हिंदी को विशेष दर्जा दिया गया है और इसे संरक्षित करने का काम पैन साउथ अफ्रीका लैंग्वेज बोर्ड करता है।
यूएई: हिंदी को यहां तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई है।
पाकिस्तान: विभाजन के बाद भी पाकिस्तान में हिंदी बोली जाती है और उर्दू के कई शब्द हिंदी से लिए गए हैं।
मॉरीशस: मॉरीशस में भी हिंदी का काफी महत्व है, और यहां की संसद में हिंदी का प्रयोग होता है।
अमेरिका: यहां 7 लाख लोग हिंदी बोलते हैं और 12 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है।
हिंदी की गूंज न केवल भारत में बल्कि नेपाल, थाईलैंड, ट्रिनिदाद और टोबेगो, गुयाना जैसे देशों में भी सुनाई देती है। हिंदी ने पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है, और यह भाषा केवल संवाद का माध्यम ही नहीं बल्कि एकजुटता और भारतीय संस्कृति की वाहक भी है।

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