“तरंग शक्ति अभ्यास द्वारा भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प प्रदर्शित हुआ” – राजनाथ सिंह

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बहुराष्ट्रीय अभ्यास ‘तरंग शक्ति’ को साझेदार देशों के साथ सहयोग और विश्वास को मजबूत करने का महत्वपूर्ण प्रयास बताया है। जोधपुर में इस अभ्यास के दूसरे चरण के दौरान विशिष्ट आगंतुक दिवस समारोह में रक्षा मंत्री ने कहा कि इस अभ्यास के जरिए भारत ने अपने रक्षा संबंधों को और मजबूत किया है, और यह विश्वास दिलाया है कि जरूरत पड़ने पर सभी देश एकजुट होकर खड़े होंगे।

सिंह ने भारत के सह-अस्तित्व और सहयोग के दृष्टिकोण पर जोर देते हुए कहा कि इतने बड़े पैमाने पर होने वाले अभ्यास में विभिन्न कार्य संस्कृतियों और युद्ध के अनुभवों वाले सैनिक एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखते हैं।

उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक कार्यक्रम भारतीय वायुसेना की शानदार उपलब्धियों का उत्सव है। भारत न केवल एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, बल्कि उसकी सशस्त्र सेनाएं भी दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक मानी जा रही हैं।

रक्षा मंत्री ने स्वतंत्रता के समय भारतीय वायुसेना की सीमित क्षमताओं को याद करते हुए बताया कि आज भारतीय वायुसेना बेहतरीन और आधुनिक विमानों से लैस होकर आत्मनिर्भर हो चुकी है।

फ्रांसीसी कंपनी सफ्रान के साथ हाल ही में हुए सहयोग का उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत अब 90 से अधिक देशों को हथियार निर्यात कर रहा है और स्वदेशीकरण की दिशा में मजबूत कदम उठा रहा है। हल्के लड़ाकू विमान, सेंसर, रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भरता हासिल कर चुका है।

इस समारोह में केन्द्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी सहित मित्र देशों के सैन्य नेता शामिल हुए।

समारोह में अग्निवीर वायु महिला एयर वॉरियर ड्रिल टीम और तेजस, प्रचंड, सारंग और एसकेएटी टीमों द्वारा प्रदर्शन किया गया। बाद में रक्षा मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय रक्षा और एयरोस्पेस एक्सपो (आईडीएएक्स-24) का उद्घाटन किया, जिसमें 68 कंपनियों ने अत्याधुनिक रक्षा तकनीकें पेश कीं।

आईडीएएक्स-24 ने सात देशों और 21 पर्यवेक्षक देशों की भागीदारी के साथ भारत की रक्षा और एयरोस्पेस में बढ़ती वैश्विक स्थिति को मजबूती दी।

 

 

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