नई दिल्ली। पीएचआई-पब्लिक हेल्थ इनिशिएटिव के तहत किए गए एक अध्ययन में यह दावा किया गया है कि ‘सिद्ध’ दवाओं के मिश्रण के इस्तेमाल से किशोरियों में एनीमिया में सुधार हो रहा है। यह अध्ययन हाल ही में प्रतिष्ठित इंडियन जर्नल ऑफ ट्रेडिशनल नॉलेज (आईजेटीके) में प्रकाशित हुआ है। एनीमिया के इलाज में ‘सिद्ध’ औषधियों के उपयोग को मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से यह पहल की गई है।
इस अध्ययन में राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान (एनआईएस), आयुष मंत्रालय, जेवियर रिसर्च फाउंडेशन और वेलुमैलु सिद्ध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, तमिलनाडु के शोधकर्ता शामिल हैं। उन्होंने पाया कि ‘सिद्ध’ औषधियों का मिश्रण, जिसे एबीएमएन कहा जाता है, हीमोग्लोबिन स्तर के साथ-साथ अन्य रक्त मानकों में भी सुधार करता है।
2,648 किशोरियों पर किया गया अध्ययन
इस अध्ययन में 2,648 किशोरियों को शामिल किया गया, जिनमें से 2,300 ने 45-दिवसीय उपचार कार्यक्रम को पूरा किया। इन लड़कियों को ‘सिद्ध’ औषधियों का मिश्रण दिया गया, जिसमें अण्णापेतिसेंतूरम, बावना कटुक्कय, माटुलाई मणप्पक्कु और नेल्लिकके लेकियम (एबीएमएन) शामिल थे। इस उपचार से पहले सभी लड़कियों को कुण्टैवणल कुरणम से कृमि मुक्त किया गया था।
नैदानिक लक्षणों में सुधार
शोधकर्ताओं ने पाया कि 45-दिन के उपचार के बाद एनीमिया के लक्षण, जैसे थकान, सिरदर्द, भूख न लगना और मासिक धर्म की अनियमितताओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ। हीमोग्लोबिन और अन्य रक्त मानकों में भी सुधार देखा गया।
सार्वजनिक स्वास्थ्य में ‘सिद्ध’ दवाओं की भूमिका
अध्ययन की वरिष्ठ लेखिका और राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान की निदेशक, डॉ. आर. मीनाकुमारी, ने कहा कि “सिद्ध औषधि सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जागरूकता, आहार संबंधी सलाह और निवारक देखभाल के माध्यम से एनीमिया से पीड़ित किशोरियों को चिकित्सीय लाभ मिल रहा है।” उन्होंने यह भी बताया कि सिद्ध औषधियां विभिन्न स्थितियों में किफायती और सुलभ उपचार प्रदान करके सार्वजनिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।