ढलती उम्र नहीं आ रही है आड़े, BJP के साथ दो-दो हाथ करने को तैयार शरद पवार, मराठा आरक्षण को धार देने की कोशिश में जुटे

मुंबई। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में मात्र तीन महीने का समय बचा है, और राज्य की राजनीति में एक नया उबाल देखने को मिल रहा है। सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) और शरद पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

सामाजिक एकता सम्मेलन में पवार का बयान
बीते रविवार को नवी मुंबई में आयोजित सामाजिक एकता सम्मेलन में शरद पवार ने महाराष्ट्र की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच आरक्षण विवाद के बढ़ते तनाव का जिक्र किया। पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में सामाजिक विभाजन को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे राज्य में अशांति फैल रही है।

मणिपुर का जिक्र कर मोदी सरकार पर हमला
शरद पवार ने पिछले साल मई से मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष के प्रबंधन के लिए भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र की आलोचना की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि “सामाजिक अशांति के मद्देनजर लोगों को सांत्वना देने के लिए पीएम ने मणिपुर जाने की कभी जरूरत नहीं महसूस की।”

भाजपा और पवार के बीच तीखी नोकझोंक
पवार की इस टिप्पणी के बाद महाराष्ट्र भाजपा ने उन पर राज्य में कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा करने और दंगे भड़काने का आरोप लगाया। दोनों गुटों के बीच तीखी नोकझोंक का दौर शुरू हो गया है।

मराठा और ओबीसी के बीच तनाव
महाराष्ट्र में मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच आरक्षण को लेकर खींचतान जारी है। मराठा वर्ग ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग कर रहा है, जिससे पूरे राज्य में सामाजिक ध्रुवीकरण बढ़ गया है।

एनसीपी में टूट के बाद बदलते समीकरण
जुलाई 2023 में अजित पवार ने एनसीपी को तोड़कर अपने गुट को भाजपा और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना की महायुति सरकार में शामिल कर लिया। इस विद्रोह को भाजपा द्वारा संचालित माना गया, जिससे शरद पवार और भाजपा के बीच संबंधों में नई कड़वाहट आ गई।

लोकसभा चुनाव में महायुति की हार
हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में महायुति को करारी हार का सामना करना पड़ा। महायुति को राज्य की 48 में से केवल 17 सीटें मिलीं, जबकि विपक्षी महा विकास अघाड़ी (MVA) ने 30 सीटें जीतीं। महायुति में भाजपा मात्र नौ सीटें ही जीत सकी। एमवीए सहयोगियों में एनसीपी को आठ, कांग्रेस को 13 और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) को नौ सीटें मिलीं।

अमित शाह का हमला
21 जुलाई को पुणे में भाजपा की महाराष्ट्र कार्यकारिणी की बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शरद पवार को राजनीति में भ्रष्टाचार का सरगना बताया। शाह ने कहा, “पवार ने देश में भ्रष्टाचार को संस्थागत रूप दिया है।” उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संकेत दिया कि पार्टी एमवीए के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करेगी।

महाराष्ट्र की राजनीति में पवार का रोल
शरद पवार को महा विकास अघाड़ी (MVA) का प्रमुख चेहरा और रणनीतिकार माना जाता है। 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा और तत्कालीन अविभाजित शिवसेना के टूटने के बाद पवार ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिससे राज्य की राजनीति में भाजपा अलग-थलग पड़ गई थी।

चुनावों में वापसी की तैयारी
शरद पवार अपनी पार्टी को फिर से खड़ा करने के साथ-साथ अपने एमवीए सहयोगियों के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सत्ता में वापसी की कोशिश कर रहे हैं। वे दलितों, मुसलमानों, मराठों, और अन्य समुदायों के सामाजिक गठबंधन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिससे उन्हें लोकसभा चुनावों में फायदा मिला था।

भाजपा के लिए चुनौती
भाजपा के लिए महाराष्ट्र में जीत दर्ज करना आवश्यक है, ताकि वे लोकसभा चुनावों में अपने निराशाजनक प्रदर्शन के बाद नई शुरुआत कर सकें। हालांकि, एनडीए सहयोगियों के समर्थन से पार्टी लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता में वापसी करने में सफल रही।

पवार का तीखा हमला
शरद पवार आमतौर पर अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वियों पर संयम बरतते हैं। फिर भी, उन्होंने अमित शाह पर उनके भ्रष्टाचार के आरोप के बाद तीखा हमला करते हुए कहा, “यह अजीब है कि एक व्यक्ति जिसे सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात से बाहर कर दिया था, वह वर्तमान में देश का गृह मंत्री है।”

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