विदेश मंत्री एस जयशंकर ने की दो टूक- ‘LAC का करें सम्मान’

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ सीमा विवाद सुलझाने को लेकर सोमवार को बड़ा बयान दिया. जयशंकर ने तोक्यो में कहा कि हम भारत और चीन के बीच वास्तविक मुद्दे को सुलझाने के लिए अन्य देशों की ओर नहीं देख रहे हैं.

एस जयशंकर ने आगे कहा, ‘चीन के साथ हमारा एक मुद्दा है और इसका समाधान हम दोनों को ही निकालना है.’ जयशंकर अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, जापान की विदेश मंत्री योको कामिकावा और ऑस्ट्रेलिया की पेनी वोंग के साथ ‘क्वाड’ के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए तोक्यो में हैं.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बीते गुरुवार को ही अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की थी और बीजिंग के साथ द्विपक्षीय संबंधों में स्थायित्व लाने और पुनर्बहाली के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तथा पिछले समझौतों का ‘‘पूर्ण सम्मान’’ सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया था. ये जयशंकर और वांग की इस महीने दूसरी मुलाकात थी.

चीन के बारे में विदेश मंत्री ने कहा, ‘हमारे अनुभव के आधार पर चीन के बारे में हमारे विचार हैं. चीन के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे नहीं चल रहे हैं, इसका मुख्य कारण यह है कि 2020 में कोविड के दौरान चीन ने भारत और चीन के बीच सीमा क्षेत्रों में बहुत बड़ी संख्या में सेनाएं भेजीं, जो कि चीन के साथ हमारे समझौतों का उल्लंघन था और इससे तनाव पैदा हुआ, जिसके कारण झड़प हुई, दोनों पक्षों के लोग मारे गए.’

उन्होंने कहा, ‘इसका परिणाम अभी भी जारी है, क्योंकि यह मुद्दा पूरी तरह से हल नहीं हुआ है. चीन के साथ अभी संबंध अच्छे नहीं हैं, सामान्य नहीं हैं. एक पड़ोसी के रूप में, हम बेहतर संबंधों की उम्मीद करते हैं, लेकिन यह तभी हो सकता है जब वे नियंत्रण रेखा का सम्मान करें और उन समझौतों का सम्मान करें, जिन पर उन्होंने अतीत में हस्ताक्षर किए हैं.’

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर विदेश मंत्री ने कहा, ‘शुरू से ही हमारा मानना ​​था कि बल प्रयोग से देशों के बीच समस्याओं का समाधान नहीं होता. पिछले 2-2.5 वर्षों में, इस संघर्ष ने लोगों की जान ली है, आर्थिक क्षति की है, वैश्विक परिणाम हुए हैं, अन्य समाजों पर प्रभाव पड़ा है और वैश्विक मुद्रास्फीति में योगदान दिया है.’

उन्होंने कहा, ‘हमें नहीं लगता कि युद्ध के मैदान में इसका समाधान हो पाएगा. हमारा मानना ​​है कि संवाद और कूटनीति की ओर लौटना चाहिए. हमें संघर्ष की वर्तमान स्थिति को जारी रखने के लिए खुद को तैयार नहीं करना चाहिए और यह नहीं कहना चाहिए कि इसे अपने तरीके से चलने दें.’

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