नई दिल्ली। जेडीयू, आरएलडी के बाद अब चिराग पासवान ने यूपी में योगी के कांवड़ यात्रा नियमों का विरोध किया है। उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने का सामान बेचने वाले होटलों, ढाबों, रेहड़ी-पटरी वालों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया है और इस पर ही विवाद हो रहा है।
केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान उन भाजपा सहयोगियों की सूची में शामिल हो गए हैं जिन्होंने मुजफ्फरनगर में पुलिस की उस सलाह पर आपत्ति जताई है जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा गया है। पीटीआई से चिराग पासवान ने कहा कि वह पुलिस की सलाह या ऐसी किसी भी चीज़ का समर्थन नहीं करते हैं जो ‘जाति या धर्म के नाम पर विभाजन’ पैदा करती हो।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस सलाह का समर्थन करते हैं, चिराग ने पीटीआई संपादकों के साथ बातचीत में कहा, ‘नहीं, मैं इसका समर्थन नहीं करता।’ उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि समाज में दो वर्ग हैं – अमीर और गरीब – और अलग-अलग जाति और धर्म के लोग दोनों ही श्रेणियों में आते हैं।
चिराग पासवान ने कहा, ‘हमें इन दो वर्गों के लोगों के बीच की खाई को पाटने की ज़रूरत है। गरीबों के लिए काम करना हर सरकार की जिम्मेदारी है, जिसमें समाज के सभी वर्ग जैसे दलित, पिछड़े, ऊंची जाति और मुसलमान भी शामिल हैं। सभी हैं। हमें उनके लिए काम करने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि जब भी जाति या धर्म के नाम पर इस तरह का विभाजन होता है, तो मैं इसका समर्थन या प्रोत्साहन बिल्कुल नहीं करता।
भाजपा का एक प्रमुख सहयोगी जेडीयू ने पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार से मुजफ्फरनगर आदेश की समीक्षा करने का आग्रह कर दिया है। जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि बिहार में यूपी से भी बड़ी कांवड़ यात्रा होती है। केसी त्यागी ने एएनआई से कहा, “वहां ऐसा कोई आदेश लागू नहीं है। जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, वे प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के नारे का उल्लंघन हैं। यह आदेश न तो बिहार में लागू है और न ही राजस्थान और झारखंड में। अच्छा होगा कि इसकी समीक्षा की जाए। इस आदेश को वापस लिया जाना चाहिए।”
भाजपा की सहयोगी पार्टी जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल यानी आरएलडी ने कहा कि विक्रेताओं से नाम प्लेट दिखाने के लिए कहने का फरमान बिल्कुल गलत है।
आरएलडी के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने कहा, “आप किसी को सड़क पर ठेले पर अपना नाम क्यों लिखवाते हैं? उन्हें काम करने का अधिकार है… यह परंपरा बिल्कुल गलत है। यह ग्राहक पर निर्भर करता है, वे जहां से चाहें खरीददारी कर सकते हैं… मैं राजनेताओं से पूछना चाहता हूं- क्या शराब पीने से आप धार्मिक रूप से भ्रष्ट नहीं हो जाते? क्या यह केवल मांस खाने से होता है? तो, शराब पर प्रतिबंध क्यों नहीं है? वे शराब के बारे में क्यों नहीं बोलते? क्योंकि जो लोग व्यापार करते हैं, उनका गठजोड़ है, यह शक्तिशाली लोगों का खेल है। ये छोटी दुकानें गरीबों द्वारा लगाई जाती हैं। इसलिए, आप उन पर उंगली उठा रहे हैं। मैं मांग करूंगा कि शराब पर भी प्रतिबंध लगाया जाए।”