नई दिल्ली। उत्तराखंड के कद्दावर नेताओं में शुमार राजनीतिकार हरीश रावत आज 74 साल के हो गए है। हरीश रावत एक ऐसे नेता है जो अपने प्रतिद्वंदियों से मात खाने के बाद हर बार और मजबूत होकर उभरे और केंद्र में कैबिनेट मंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद अंतत: प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए।
हरीश रावत का जन्म 27 अप्रैल 1947 को उत्तराखंड के अलमोड़ा जिले के मोहनारी में एक राजपूत परिवार में हुआ। हरीश रावत के पिता का नाम राजेंद्र सिंह और माता का नाम देवकी देवी है। उन्होंने उत्तराखंड से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त कर हरीश रावत ने उत्तरप्रदेश के लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी की उपाधि प्राप्त की।
व्यक्तिगत जीवन
हरीश रावत का विवाह रेणुका रावत से हुआ। इनके दो बच्चे हैं। बेटा आनंद सिंह रावत भी राजनीति से जुड़ा है, जबकि बेटी अनुपमा रावत सॉफ्टवेयर के क्षेत्र से हैं।
राजनीतिक सफर
हरीश रावत एक किसान होने के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी रहे हैं और उन्होंने श्रमिक संघ से भी संबंधित कई कार्यों में भाग लिया। इनके विद्यार्थी जीवन में ही इन्होंने भारतीय युवा कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली और 1973 में कांग्रेस की युवा इकाई के प्रमुख चुने गए।
उसके बाद ये उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी बन गए। रावत ने 7 वें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर उत्तराखंड की हरिद्वार लोकसभा सीट से जीत हासिल की। 1990 में संचार मंत्री बने और मार्च 1990 में राजभाषा कमेटी के सदस्य बने। उसके बाद 1999 में हाउस कमेटी के सदस्य बने और फिर 2001 में इन्हें उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। 2002 में राज्यसभा के लिए इन्हें चुन लिया गया और 2009 में एक बार फिर लेबर एंड एंप्लॉयमेंट के राज्य मंत्री बने। 2011 में राज्य मंत्री कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण इंडस्ट्री के साथ संसदीय कार्य मंत्री का कार्यभार सौंपा गया। 1980 में ये पहली बार अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए। 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।