नई दिल्ली। हर साल 13 अप्रैल को भारतीय सेना सियाचिन दिवस मनाती है। यह दिवस ऑपरेशन मेघदूत के अंतर्गत भारतीय सेना के साहस की स्मृति में मनाया जाता है। सियाचिन दिवस .. पर मातृभूमि की सेवा करने वाले सियाचिन योद्धाओं को सम्मानित करने के लिए भी मनाया जाता है।
सियाचिन
सियाचिन वह इलाका है, जब भारतीय सेना ने 1984 में 13 अप्रैल के दिन आपरेशन मेघदूत चलाकर पाकिस्तान के मंसूबों को बर्बाद कर दिया था।
क्यों मनाया जाता है सियाचिन दिवस
38 साल पहले सियाचिन की बर्फीली ऊंचाइयों पर कब्जा करने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल सियाचिन दिवस मनाया जाता है। यह दिन विश्व के सबसे ऊंचे एवं सबसे ठंडे युद्धक्षेत्र को सुरक्षित करने में भारतीय सेना के सैनिकों द्वारा प्रदर्शित साहस और धैर्य की याद दिलाता है। भारत की सेना ने 20,000 फीट की ऊंचाई पर मौजूद सियाचिन ग्लेशियर पर पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ कर तिरंगा फहराया था। वह भी बैसाखी का दिन था तथा प्रत्येक बैसाखी पर सेना के इसी जज्बे एवं जोश को सलाम करने के उद्देश्य से सियाचिन दिवस मनाया जाता है।
13 अप्रैल 1984 की पूरी घटना
पाकिस्तान ने साल 1984 में 33,000 वर्ग किमी तक फैले इस इलाके पर कब्जा करने की कोशिश की और अपने सैनिकों को भेजना शुरू कर दिया। भारतीय सेना ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए 13 अप्रैल 1984 को ऑपरेशन मेघदूत लांच किया। पाकिस्तान ने सियाचिन में लड़ाई के लिए सभी जरूरी सामान बहुत पहले ही यूरोप से मंगाया लिया था। भारतीय सैनिकों को ऑपरेशन की रात से एक दिन पहले स्पेशलाइज्ड यूनिफॉर्म एवं सारा जरूरी सामान मिला था। सियाचिन की ऊंचाई भारत की ओर से जहां कहीं ज्यादा है तो वहीं पाक की ओर से यह काफी कम है। इसलिए ऑपरेशन मेघदूत की सफलता को आज तक भारतीय सेना के लिए एक मिसाल बताया जाता है।