नई दिल्ली। हाथरस भगदड़ की घटना पर अलीगढ़ के आईजी शलभ माथुर ने प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी दी कि इस मामले में अब तक छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जिनमें चार पुरुष और दो महिलाएं शामिल हैं।
आईजी शलभ माथुर ने कहा, ‘ये सभी आयोजन समिति के सदस्य हैं और ‘सेवादार’ के रूप में काम करते थे. पहले भी इन्होंने कई आयोजनों में हिस्सा लिया है. जब भगदड़ हुई तो छह सेवादार जो अब गिरफ्तार किए गए हैं, घटनास्थल से भाग गए थे. हम ‘भोले बाबा’ के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी ले रहे हैं. उनके नाम पर कार्यक्रम की अनुमति नहीं ली गई थी।
मुख्य आरोपी पर एक लाख का रखा इनाम
उन्होंने बताया, ‘मुख्य आरोपी प्रकाश मधुकर की गिरफ्तारी पर 1 लाख रुपये का इनाम घोषित किया जा रहा है. जल्द ही उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जाएगा. हम यह भी जांच करेंगे कि क्या यह घटना किसी साजिश के कारण हुई है।
‘लोगों को वीडियो बनाने से रोकते थे’
अलीगढ़ के आईजी ने कहा, ‘आयोजन में लगे सेवादारों ने भीड़ को चरण रज लेने के लिए अनियंत्रित छोड़ दिया. इसी दौरान सभी लोग एक दूरे पर गिर गए. घटना जब हुई तब आयोजन समिति के सभी लोग मौके से फरार हो गए. ये वहां पर किसी भी व्यक्ति को वीडियो बनाने से रोकते थे।
मृतकों की संख्या 121
उन्होंने बताया, ‘इनके द्वारा खुद ही भीड़ नियंत्रण का प्रयास किया जाता था. मृतकों की संख्या 121 है. सभी शवों की पहचान हो गई है और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी हो गई है।
तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग गठित
इससे पहले बुधवार को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी पटेल के निर्देश पर राज्य सरकार ने भगदड़ की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग गठित की. सरकारी प्रवक्ता ने बुधवार रात को एक बयान में बताया कि तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्ति) ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव करेंगे.
दो महीने में पूरी करनी होगी जांच
उन्होंने बताया कि आयोग के दो अन्य सदस्यों में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी हेमंत राव और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस)के पूर्व अधिकारी भावेश कुमार सिंह शामिल हैं. प्रवक्ता ने बताया कि हाथरस भगदड़ के दोषियों का पता लगाने लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्यायिक आयोग का गठन कर दिया है. इस आयोग को दो महीने में जांच पूरी करनी होगी।
आयोग यह भी जांच करेगा कि यह कोई दुर्घटना है, अथवा कोई षडयंत्र या अन्य कोई सुनियोजित आपराधिक घटना. जिला प्रशासन एवं पुलिस द्वारा कार्यक्रम के दौरान आई भीड़ का नियंत्रण तथा कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए किए गए प्रबंध और उससे संबंधित अन्य पहलुओं की जांच की जिम्मेदारी भी आयोग को दी गई है।