रांची: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की कि रांची स्थित आईसीएआर-राष्ट्रीय उच्चतर कृषि संस्थान (एनआईएसए) में अब 1500 नहीं, बल्कि 5000 किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने यह घोषणा एनआईएसए के शताब्दी समारोह के दौरान की, जिसमें भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु भी उपस्थित थीं।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कृषि की तीन बड़ी चुनौतियों पर प्रकाश डाला – खाद्य एवं पोषण सुरक्षा, संसाधनों का सतत उपयोग, और जलवायु परिवर्तन। उन्होंने कहा कि द्वितीयक कृषि गतिविधियाँ, जैसे मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, और कृषि पर्यटन, इन समस्याओं से निपटने में मददगार हो सकती हैं। इसके माध्यम से कृषि अपशिष्ट का सही उपयोग किया जा सकता है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि और पर्यावरण की सुरक्षा संभव हो सकेगी।
लाख उत्पादन में प्रगति
राष्ट्रपति ने लाख उत्पादन के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह मुख्य रूप से आदिवासी समुदायों की आय का प्रमुख स्रोत है। एनआईएसए द्वारा लाख, प्राकृतिक रेजिन और गोंद के अनुसंधान और प्रसंस्करण में किए गए प्रयासों की सराहना की गई। लाख आधारित प्राकृतिक पेंट, वार्निश, और कॉस्मेटिक उत्पादों के विकास के साथ-साथ फलों और सब्जियों की शेल्फ-लाइफ बढ़ाने के लिए लाख आधारित कोटिंग का भी विकास किया गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि इन नवाचारों से आदिवासी समुदायों की आय में वृद्धि होगी और उनका जीवन स्तर बेहतर होगा।
लखपति दीदी योजना और महिला सशक्तिकरण
चौहान ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में लखपति दीदी योजना का उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य महिलाओं की सालाना आय 1 लाख रुपये से अधिक करना है। उन्होंने कहा कि लाख की खेती से भी इस योजना को बढ़ावा मिल सकता है।
लाख की प्रोसेसिंग और एमएसपी पर जोर
चौहान ने कहा कि लाख उत्पादन वन विभाग के अंतर्गत आता है, इसलिए कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ लाख उत्पादकों को नहीं मिल पाता। उन्होंने इसे कृषि उत्पाद के रूप में मान्यता दिलाने का प्रयास करने की बात कही, जिससे लाख की प्रोसेसिंग और बिक्री में सुधार हो सके। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के निर्धारण की आवश्यकता पर भी जोर दिया, जिससे किसानों को उचित मूल्य मिल सके।
झारखंड को बनेगा प्रमुख कृषि शिक्षा केंद्र
चौहान ने यह भी आश्वस्त किया कि रांची को कृषि शिक्षा और अनुसंधान में देश का प्रमुख केंद्र बनाने के लिए प्रयास किए जाएंगे, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिल सके और कृषि विकास की दिशा में नए अवसर खुल सकें।
कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी का योगदान
कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “जय अनुसंधान” नारे का उल्लेख किया और कहा कि जब अन्नदाता खुशहाल होगा, तभी देश समृद्ध होगा। उन्होंने लाख की खेती को आदिवासी समुदायों के लिए आय का प्रमुख स्रोत बताते हुए इसे और बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।