भारत की इंडियन नेवी के लिए फ्रांस से 26 रफाल फाइटर जेट खरीदे जाएंगे। ये जेट रफाल-एम (रफाल-मरीन) होंगे, जो भारतीय एयरफोर्स में पहले से उपलब्ध रफाल जेट्स से बिल्कुल अलग हैं। एयरफोर्स के पायलट को रनवे से टेकऑफ और लैंडिंग करनी होती है, जबकि नेवी के पायलट एयरक्राफ्ट कैरियर के डेक से उड़ान भरते हैं और लैंड करते हैं। यही कारण है कि नेवी के फाइटर जेट्स और हेलिकॉप्टर एयरफोर्स से अलग होते हैं।
एयरक्राफ्ट कैरियर के डेक से लैंडिंग: एक चुनौती
एयरबेस में आमतौर पर लंबा रनवे होता है, जबकि एयरक्राफ्ट कैरियर पर लैंडिंग करना कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है। भारतीय नेवी के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत में फ्लाइट डेक के एक कोने में 14 डिग्री का उठा हुआ रैंप है, जिससे एयरक्राफ्ट उड़ान भरते हैं। इसके साथ ही, डेक में तीन मोटी वायर होती हैं, जो अरेस्टिंग गेयर सिस्टम से जुड़ी होती हैं। जब एयरक्राफ्ट लैंड करता है, तो वह इनमें से किसी एक वायर से हुक फंसा लेता है, जिससे उसकी गति कम होती है और वह छोटे रनवे पर सुरक्षित लैंड कर जाता है। अगर हुक किसी भी वायर में नहीं फंसता, तो एयरक्राफ्ट को हवा में चक्कर लगाकर पुनः लैंडिंग करनी होती है।
26 रफाल-एम में 22 सिंगल सीटर और 4 ट्रेनर एयरक्राफ्ट
भारतीय नेवी के लिए कुल 26 रफाल-एम फाइटर जेट्स खरीदे जाएंगे, जिनमें 22 सिंगल सीटर होंगे और 4 ट्रेनर एयरक्राफ्ट होंगे। वर्तमान में नेवी के पास स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत से ऑपरेट करने के लिए मिग-29K फाइटर एयरक्राफ्ट हैं, लेकिन ये अब पुराने हो रहे हैं। इसके कारण, नेवी ने रफाल-एम के ट्रायल किए और अंततः इसे खरीदने का फैसला लिया। रफाल-एम के लिए प्राइस निगोसिएशन के बाद बिड को संशोधित किया गया और इसमें स्वदेशी वेपन सिस्टम को इंटीग्रेट करने की संभावना पर भी चर्चा की गई है।
रक्षा मंत्रालय और सीसीएस की मंजूरी की आवश्यकता
अब, इस सौदे को रक्षा मंत्रालय से मंजूरी प्राप्त करनी होगी और इसके बाद कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की स्वीकृति की जरूरत होगी। भारतीय नेवी के पास एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट करने के लिए सीकिंग और चेतक हेलिकॉप्टर, साथ ही एमएच-60 हेलिकॉप्टर भी उपलब्ध हैं, जो उनकी ताकत को बढ़ाते हैं।
यह नया कदम भारतीय नेवी के लिए न केवल मजबूती का प्रतीक होगा, बल्कि उसे भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए और अधिक सक्षम बनाएगा।