लखनऊ: लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीज के इलाज के दौरान लापरवाही बरतने के चलते अस्पताल के 6 डॉक्टर समेत 13 लोगों को निलंबित कर दिया गया है। इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए अस्पताल के निदेशक प्रो. सीएम सिंह ने बुधवार को हुई घटना के बाद तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने छह डॉक्टरों, दो पीआरओ, और पांच अन्य कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन का आदेश जारी किया।
क्या है मामला?
यह मामला बुधवार को तब सामने आया जब सीतापुर निवासी 45 वर्षीय दिनेश चंद्र को उनके परिजन लेकर लोहिया संस्थान की इमरजेंसी पहुंचे। डॉक्टरों ने मरीज की जांच की और इलाज शुरू किया, लेकिन कुछ देर बाद ही परिजनों को मरीज को घर ले जाने के लिए कह दिया।
परिजनों के आरोप
परिजनों का आरोप है कि उन्होंने कई बार डॉक्टरों से अनुरोध किया कि मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जाए क्योंकि उसे तेज बुखार और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों ने उनकी गुहार नहीं सुनी और मरीज को घर ले जाने का निर्देश दिया। मजबूर होकर, पीड़ित के परिजन उसे एक निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए ले गए।
इलाज को छोड़ा गया था अधूरा
मामले की शिकायत दर्ज होते ही संस्थान प्रशासन ने तुरंत जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि मरीज का इलाज अधूरा छोड़ दिया गया था।
निदेशक का बयान
लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. सीएम सिंह ने मामले की जांच के बाद कहा, “मरीजों के साथ लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषी पाए गए सभी कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी।”
मामला क्यों है महत्वपूर्ण?
यह घटना यूपी के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के साथ होने वाली लापरवाही को उजागर करती है। इससे पता चलता है कि कुछ डॉक्टर और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी से बचते नजर आ रहे हैं। इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि मरीजों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए। अगर उनके साथ कोई लापरवाही होती है, तो उन्हें इसकी शिकायत जरूर करनी चाहिए।
इस घटना ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को कड़ी सजा देने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।