मानस की डायरी….. कहानी संग्रह का भाग-12 “बबिता कोमल की कलम से”
मैं कितना स्पेशल था, मेरे लिए जलपाईगुड़ी टेलिग्राम भेजा गया था। कभी-कभी लीक से अलग होने के कितने फायदे होते
Read moreमैं कितना स्पेशल था, मेरे लिए जलपाईगुड़ी टेलिग्राम भेजा गया था। कभी-कभी लीक से अलग होने के कितने फायदे होते
Read moreआज शायद डायरी बदली हुई है। मानस की वह डायरी मेरे हाथ में नहीं आई है जिसमें वह कक्षा दस
Read moreडायरी लिखने का मन तब होता है जब मन अशांत हो। मन की शांति किसी डायरी और किसी मित्र की
Read more“कठे हांडरा हा पूरअ दिन, कोई टेम है औ त्यौहार नअ घरा आबो को….(दिन भर कहाँ थे, क्या यह कोई
Read moreतेरह साल के बच्चे की मनःस्थिति को कोई नहीं समझता। न वह छोटा होता है और न ही बड़ा। ट्यूशन
Read moreनदी किनारे मिली परी और भूत ने साथ मिलकर रात बिताई। यह स्वप्न डायरी में उतारने जैसा नहीं था क्योंकि
Read moreमाँ की डाँटने की आवाज कान में गई तो स्वप्नों की दुनिया से बाहर आ गया। बहुत सुंदर स्वप्न था,
Read moreकाश समय को मुठ्ठी में बाँधकर रखा जा सकता, मैं ऐसा करने के लिए अपना सब कुछ लूटा सकता था,
Read moreकुछ समय पहले तक जीवन में केवल बहारें ही थी, तब तक, जब तक रागेश्वरी का ख्याल मन के आँगन
Read moreतांत्रिक के पास लगी भीड़ को देखकर अहसास हो गया था कि दुनिया में केवल मैं और मेरा भाई ही
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